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लेखनी कहानी -28-Feb-2023 मिस्टर नटवरलाल

वही हुआ जो मिस्टर नटवरलाल ने बहुत पहले ही कह दिया था । वैसे एक बात कहें , मिस्टर नटवरलाल के सूत्र पता नहीं कहां कहां सैट हैं जो उन्हें भविष्य की घटनाओं के बारे में पहले ही बता देते हैं । अभी कुछ दिन पहले नटवरलाल ने कहा था कि उनके नायब साहब रविवार को गिरफ्तार होंगे और ताज्जुब की बात देखो, मिस्टर हैंडसम रविवार को ही गिरफ्तार हुए । मिस्टर नटवरलाल के सामने तो आई बी , रॉ सब फेल हैं । आई बी जो बात नहीं बता सकते, उनके गुप्त सूत्र वे बात उन्हें पहले ही बता देते हैं । आई बी ने तो उन्हें गुजरात चुनावों के समय ही बता दिया था कि उनकी सरकार बनने जा रही है पर ई वी एम की हेराफेरी ने किसी और को जिता दिया । एक तानाशाह की तानाशाही जीत गई और लोकतंत्र फिर हार गया । बेचारे लोकतंत्र के दिन खराब चल रहे हैं आजकल । वह या तो हार रहा है या उसकी रोज हत्या हो रही है । अब ये मत पूछना कि लोकतंत्र की हत्या कौन कर रहा है ? 

एक गाना बहुत चला था कभी "बड़े अरमानों से रखा है कदम तेरी कसम, ओ सनम तेरी कसम, प्यार की दुनिया में ये पहला कदम हो पहला कदम" । इस गाने से प्रेरित होकर मिस्टर नटवरलाल ने प्यार की दुनिया में नहीं अपितु  राजनीति की दुनिया में पहला कदम रखा था और वह भी आम आदमी की सेवा करने और एक नई तरह की राजनीति करने के लिये । "सब कुछ" बदलने के लिये ही तो वे राजनीति में आये थे । राजनीति की दिशा और दशा बदलना चाहते थे , एक नई तरह की राजनीति करना चाहते थे मगर निगोड़ी राजनीति भ्रष्टाचार के रंग में ऐसी रंगी हुई है कि राजनीति तो नहीं बदली , उल्टे उसने नटवरलाल को बदल दिया । अब नटवरलाल भी अन्य राजनेताओं की तरह उसी राजनीति के खेल के धुरंधर खिलाड़ी बन गये । 

मिस्टर नटवरलाल ने अपनी राजनीति की शुरुआत "ईमानदारी और भ्रष्टाचारी" के प्रमाण पत्र बांटने से की थी । जो नटवरलाल कहे वही ईमानदार, बाकी सब बेईमान । मिस्टर नटवरलाल का एक एक शब्द ब्रह्म वाक्य है । मजाल है जो कोई इस पर प्रश्न करे या इसे नहीं माने । ऐसा करने वाला व्यक्ति न केवल भ्रष्ट है अपितु तानाशाह भी है और लोकतंत्र का हत्यारा भी है । एक ऐसा आदमी जो बिना सबूत हर किसी को भ्रष्ट बता रहा था और लिस्ट लेकर घूम रहा था , वही व्यक्ति "बालाकोट" एयर स्ट्राइक पर सबूत भी मांगने लगा । सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगने लगा । एक कहावत प्रसिद्ध हो गई है आजकल 
हरिश्चंद्र से भी अधिक सत्यवादी है 
मिस्टर नटवरलाल आज का गांधी है 
नटवरलाल न केवल गांधी है अपितु वह तो भगतसिंह भी है । उसकी हर बात , उसका हर काम क्रांतिकारी है , बहुत क्रांतिकारी है । अगर यकीन ना हो तो पत्रकार पुण्य प्रसून वाजपेयी से पूछ लो । ये महाशय मिस्टर नटवरलाल की स्क्रिप्ट आज तक चैनल के स्टूडियो में लिखा करते थे , लेकिन आजकल वे यू ट्यूबर बने घूम रहे हैं । किसी ने सही कहा है "जैसे कर्म करोगे वैसे फल भी पाओगे" । मिस्टर वाजपेई ने क्रांतिकारी कर्म किये थे इसलिए वे भी नटवरलाल की तरह बहुत क्रांतिकारी हैं और अब यू ट्यूब पर क्रांति की मशाल जला रहे हैं । 

नटवरलाल का एक मंत्री सबसे पहले झूठी डिग्री मामले में जेल गया था । नटवरलाल की पार्टी का नाम है "सबसे ईमानदार पार्टी" । इस पार्टी में जो भी आता है वह गंगा की तरह शुद्ध हो जाता है चाहे वह भ्रष्टाचार की गंगोत्री से निकल कर ही क्यों न आया हो ? जिस राजनीतिक दल को नटवरलाल महा भ्रष्ट कहता था उसी दल के नेताओं को अपनी पार्टी में मिला लेता था और स्वयं ही "कट्टर ईमानदार" होने का प्रमाण पत्र बांट देता था । यह काम तो वह अभी भी कर रहा है और अपने हर विरोधी को भ्रष्ट बता रहा है । जब फर्जी डिक्री का मामला सामने आया तो मिस्टर नटवरलाल ने कहा था "मैंने उसकी सारी डिग्रियां चैक कर ली हैं और वे सब सही हैं" । एक बार जब नटवरलाल ने प्रमाण पत्र दे दिया तो इस प्रमाण पत्र को तो सुप्रीम कोर्ट में भी चैलेंज नहीं किया जा सकता है । आखिर सुप्रीम कोर्ट की इतनी हैसियत कहां जो मिस्टर नटवरलाल की कही हुई बातों के विरुद्ध कोई निर्णय दे सके ? 

उसके बाद नंबर आया चिकित्सा मंत्री का । दुनिया कोरोना में त्राहि त्राहि कर रही थी और नटवरलाल के चिकित्सा मंत्री अपने रिश्तेदारो को कोरोना से संबंधित सभी ठेके बांट रहे थे , हवाला का काम कर रहे थे । आम आदमी का उद्धार करने आये हैं ये लोग इसलिए पहले अपना तो उद्धार करेंगे ना ? बुरा हो ई डी और सी बी आई  दोनों का जिसने कट्टर ईमानदार,  गुणों की खान, सबसे योग्य मंत्री जिन्हें उनके कार्यों के लिए "भारत रत्न" दिया जाना चाहिए था मगर इस सरकार ने उन्हें जेल में डाल दिया । ये तो भला हो नटवर लाल का जो उन्होंने उन मंत्री महोदय को चिकित्सा विभाग के साथ साथ जेल मंत्रालय भी सौंप दिया था । जेल मंत्रालय सौंपने का असर यह हुआ कि वे जेल में भी आनंद पूर्वक मसाज लेते रहे । इसके लिए बाकायदा एक रेपिस्ट की सेवाऐं ली गईं । अब जेल में तो रेपिस्ट, शार्प शूटर ही मिलेंगे , कोई मसाज पार्लर वाला तो मिलेगा नहीं , इसलिए जो मिला उसी की सेवाएं लेते रहे, इसमें गलत क्या है ? आखिर रेपिस्टभी तो एक इंसान ही तो है और नटवरलाल ने तो सार्वजनिक रूप से कहा था "इंसान का इंसान से हो भाईचारा , यही पैगाम हमारा" । "आम" आदमी हैं तो क्या एक आम आदमी को इतना भी हक नहीं है कि वह जेल में मसाज की सुविधा ले सके ? शायद नटवरलाल आम आदमी को बताना चाहते हैं कि हम जेल में भी मसाज की व्यवस्था करने वाले हैं । चिकित्सा मंत्री को दिलाई गई सुविधा इस संबंध में एक ट्रायल है । सोचिए, कितना क्रांतिकारी कदम होगा जेल के इतिहास में यह ? 

अब चूंकि शराब मंत्री भी जेल पहुंच गये हैं तो अब जेल में "बार" खुलने की भी संभावना है । इस कल्पना मात्र से ही सभी कैदी नौ नौ हाथ कूद रहे हैं । वे शराब मंत्री का दिल खोलकर स्वागत कर रहे हैं । दिल्ली की सभी जेलों में जश्न का माहौल है । इतना ही नहीं महिला कैदियों की आंखों में भी एक विशेष चमक आ गई है । ये नटवरलाल ही तो है जिसने महिलाओं के लिए अलग से "दारू की दुकान" की व्यवस्था की थी जिसे "पिंक शॉप" नाम दिया गया था । इस पिंक शॉप को महिला ही संचालित करती थीं । महिला उत्थान में यह कदम कितना बड़ा था यह बात तानाशाह लोग कैसे जान सकते हैं ? आखिर जो महिलाऐं संकोच प्रवृत्ति की होती हैं अब वे इन पिंक शॉप से दारू ले सकेंगी और अपने तनाव भरे जीवन में कुछ आनंद के क्षण जी सकेंगी । क्या "आनंद" लेने का अधिकार सिर्फ मर्दों को है महिलाओं को नहीं ? यही सोच तो पुरुषवादी सोच है जिसे नटवरलाल ने खत्म करने के लिए नई शराब नीति बनाई थी और दिल्ली की हर गली हर मौहल्ले में दारू की दुकान खोल दी । ये आधुनिक सोच का परिचायक है । 

नटवरलाल कितने आधुनिक व्यक्ति हैं यह बात उनके इस निर्णय से सिद्ध हो जाती है कि आज के जमाने में दारू एक व्यसन नहीं एक "जरूरत" है । आज भारत में चारों तरफ टेंशन ही टेंशन है । आदमी गम खा रहा है, गम पी रहा है । ऐसे में कुछ सुकून के पल बिताना कितना जरूरी है और सुकून के पलों के लिए दारू पीना परम आवश्यक है । अत: पूरी दिल्ली में दारू की गंगा बहा देना भी क्रांतिकारी कदम नहीं है क्या ? आज तक किसी ने ऐसा किया है क्या ? मिस्टर नटवरलाल का नाम दिल्ली में उसी तरह अमर हो गया जैसे भागीरथ जी का हिन्दुस्तान में हुआ था । "दारू की गंगा" बहाने का श्रेय तो उन्हें मिलेगा कि नहीं ? 

पहले दारू का स्वाद 25 वर्ष से अधिक उम्र का व्यक्ति ही ले सकता था लेकिन नटवरलाल ने इसे घटाकर 21 वर्ष कर  दिया है । कितना क्रांतिकारी कदम था यह ?  एक बात बताइये, जब 21 साल का आदमी शादी कर सकता है तो क्या वह दारू नहीं पी सकता है ? फिर शादी के बाद तो दारू की जरूरत और ज्यादा हो जाती है । एक तो दुनिया के गम और उस पर बीवी ? भई, किसी को जीने भी दोगे या नहीं ? 

हमने बहुत पहले एक "चचाजान" का नाम सुना था । लोग कहते हैं कि उन्हें बच्चों से बहुत ज्यादा प्यार था इसलिए उनके जन्मदिन को "बाल दिवस" के रूप में मनाया जाता है । मेरी निगाह में तो श्री लालू प्रसाद यादव को बच्चों से अधिक प्यार नजर आता है क्योंकि उन्होंने पूरे नौ बच्चे पैदा किये हैं । अगर चाचाजान को बच्चों से इतना प्यार होता तो फिर वे एक ही बच्चा पैदा क्यों करते ? इसलिए अब बाल दिवस लालू जी के जन्मदिन पर मनाया जाना चाहिए । 

अब दिल्ली में एक और चाचा पैदा हो गया है और यह चाचा जेल भी जा रहा है । इस देश में जेल जाने वालों को स्वतंत्रता सेनानी कहा जाता है । हर जेल जाने वाला व्यक्ति "मेरा रंग दे बसंती चोला" गीत गाकर जेल जाया करता है इसलिए मिस्टर हैंडसम भी बाकायदा एक जुलूस निकाल कर जेल यात्रा पर गये हैं और अपने प्यारे बच्चों के नाम एक संदेश छोड़ गये हैं कि वे अपने चाचा की चिंता ना करके पढाई पर ध्यान दें । अगर गलती से भी वे फिर से सत्ता में आ गये तो हर स्कूल कॉलेज में उनके लिए दारू की दुकान अवश्य खोलेंगे । खुशी पाने का अधिकार सबको है और इस अधिकार से बच्चों को महरूम नहीं किया जा सकता है । आखिर बच्चे इस देश का भविष्य हैं । उनका अगर वर्तमान आनंद दायक नहीं होगा तो भविष्य कैसे होगा ? 

बातें तो बहुत सारी हैं लेकिन आप पढते पढते थक जाओगे इसलिए सोच रहा हूं कि लेखनी को यहीं विराम दे दूं । तो फिर कभी जेल से समाचार दूंगा । अभी तो पांच दिन सी बी आई की हिरासत में काटने दो , जब जेल जायेंगे तब एक और एपीसोड लिख डालेंगे । 😄😄😄

श्री हरि 
28.2.23 


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4 Comments

Muskan khan

28-Feb-2023 08:14 PM

😂

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Hari Shanker Goyal "Hari"

01-Mar-2023 12:17 AM

🙏🙏

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Renu

28-Feb-2023 05:43 PM

👍👍🌺

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Hari Shanker Goyal "Hari"

01-Mar-2023 12:16 AM

💐💐🙏🙏

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